शीर्षक-कविता का जन्म
शीर्षक-कविता का जन्म
उठा तो ली है, कलम कवि ने
कागज सादे, ले देकर।
मन की जिज्ञासा, मंथन करती
कानाफूसी, कह कह कर।
उठा तो लिया, अमुक विषय
थाह-अथाह जा जाकर।
रसमय, लयबद्ध, भाव पूर्ण ,
सृजन कृति, फिर रच रचकर।
सोच-विचार कर आगे लिखता
पंक्ति क्रमबद्ध, लिख-लिखकर।
नेत्र बंद कर ,दर्शन करता
सरस्वती मां, गणपति कर-कर।
उथल-पुथल करते हैं,
शब्द-लहर ,फिर-फिरकर।
काव्य मय, फिर तेज रवि सी ,
कविता किरण ,जन्म ले लेकर।
लिख देती है ,भाव सब मन के
कविता किरण, जा जाकर।
तेज सी आभा, कल्पना से परे
कविता परी, दशो-दिश उड़ उड़कर।
कविता अमुक, नाम भी उसका,
कवि ही लिखता, इतने प्रयत्न कर-कर।
कविता जन्म ,सृजन-सुख पावन
हृदय विराज ,मनमोहक कर-कर।
