कविता - प्रेम की रीति
कविता - प्रेम की रीति
प्यार की रीत को हम जीवन निभाएंगे
विश्वास, प्रेम, से हम इस नींव को मजबूत बनायेंगे
प्यार की रीत ही ईश्वर की होती सच्ची नेमत है
इस रीत में सम्मान ही इसकी आधारशिला है
जीवन भर इंकार, रूठना ,मनाना प्यार का इजहार जरूरी है
साथ रहें हमेशा जीवन पर्यन्त एक दूसरे पर एतबार जरूरी है
प्यार के वचन निभाते चलें हम एक दूसरे के विचारों का सम्मान करें
मन की बातों को समझे भावनाओं को सम्मान करें
जीवन में सुख दुख आएं उनको प्रेम से सुलझाए
एक दूसरे के बनें पूरक अमावस में भी दीप जलाएं
प्रीति जिससे होती हम शाम सुहानी लगती है
हर पल समर्पित रहे यही होती प्रेम की रीति है
असीम प्रेम हो दिल में जब हर दिन सिंदूरी लगे
मौन रह कर सुरों को समझे वही निभाये प्रेम की सच्ची रीत लगे।