नारी
नारी
नारी तू नारायणी तू ही सर्जनहार है
नारी के रूप अनेक हर घर की पहचान है
आदि से लेकर अब तक नारी ने
अपनी अलग पहचान बनाई है
नारी तेरे श्रद्धा,विश्वास के अनेक रूप है
आज की नारी किसी परिस्थिति से नहीं हारी है
वो निभाती अनेक रूपों में अपने किरदार है
न किसी वो डरती वो बहुत हिम्मत वाली है
नारी ही सृष्टि की कर्ता और पालन हार है
वह दोनों की परिवार की शान और मान है
शीतलता हिम से ज्यादा करुणा का सागर है
आदि से वर्तमान में नारी शक्ति का संचार है
कभी काली बनती कभी दुर्गा बन कर करती संहार है
परिवार के साथ साथ करती बाहर भी काम है
बनती माता पिता का सहारा परिवार का मान है
बच्चों की बनती सर्वप्रथम गुरु उनको संस्कार देती है
पति की रक्षा कर अर्धागिनी कहलाती है
नारी में वो शक्ति आकाश को भी छू सकती है
देश पर हमला होने पर दुश्मन को मार गिरा सकती है
नारी को कमजोर न समझो नारी शक्तिशाली है
नारी ही देवी नारी ही नारायणी है।