कविता मेरी दृष्टि में
कविता मेरी दृष्टि में
कविता शब्दों का एक खेल है
मन मस्तिष्क का अनोखा मेल है
मन के आंगन की बगिया की
मुरझाती, फिर उगती बेल है
बीती यादों को कैद करने का
कागज़ और स्याही का खेल है
कविता सहेजे हुए भाव है
सजे शब्दों की एक रेल है
कविता एक सुलझी सोच है
खुशियों व गमों का मेल है
ज़िन्दगी है गर दीया बाती
कविता अमृत रूपी तेल है।
