STORYMIRROR

आचार्य आशीष पाण्डेय

Inspirational

4  

आचार्य आशीष पाण्डेय

Inspirational

कवि हूं

कवि हूं

1 min
1K

कवि हूं कवि हूं सुनो मैं कवि हूं

कहे लोग मुझको मैं चंचल कवि हूं


न भूला न भटका

न राहों पे अटका

चले जा रहा हूँ

लिखे जा रहा हूं

जो उपकार करता वही मैं अवि हूं।।


कवि हूँ कवि हूँ मै ऐसा कवि हूँ

कहे लोग मुझको मै चंचल कवि हूँ


पराधीन मैं न

मैं स्वाधीन रहता

मैं जाता जहाँ भी

वही लेख करता

न जाने कहाँ से मै आया यहाँ हूँ

न जाने मैं किसकी बना ये छवि हूं।।


न मंजिल है कोई

सफर है न मेरा

बढाये कदम मैं

चले जा रहा हूँ

न मैं जानता हूँ

कि आगे क्या होगा?

बनूं दीर्घ कवि मैं

कि मिटे नाम मेरा

हो अंजाम कोई लिखे जा रहा हूँ

दावाग्नि के बीच का अटवी हूं।।


लिखी बात अपनी

है सोची सोचायी

बनी न प्रतिष्ठा

न यश कीर्ति पाई

दिया गम जो जिसने लिखूँ सोचता हूँ

जले जा रहा जो वही मैं रवि हूं।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational