कुण्डलिया
कुण्डलिया
पड़ी डकैती सूर्य पर,
सारी जनता मौन।
कोहरा थानेदार है,
रपट लिखेगा कौन?
रपट लिखेगा कौन,
हवाएं बनी दारोगा।
काट रहे चालान,
बच के रहना होगा।
शीत से हारे भानु,
हांड़ कंपाती पछुआ।
धुंध से ढक गया रानु,
काम सब दूभर हुआ।
पड़ी डकैती सूर्य पर,
सारी जनता मौन।
कोहरा थानेदार है,
रपट लिखेगा कौन?
रपट लिखेगा कौन,
हवाएं बनी दारोगा।
काट रहे चालान,
बच के रहना होगा।
शीत से हारे भानु,
हांड़ कंपाती पछुआ।
धुंध से ढक गया रानु,
काम सब दूभर हुआ।