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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

गजल : ये बिखरी जुल्फें

गजल : ये बिखरी जुल्फें

1 min
200

ये बिखरी बिखरी जुल्फें ये तीखे तीखे नैन

ये जादू भरी मुस्कान कर दे सबको बेचैन

ये अदाएं ये शोखियां ये मस्तियाँ ये जवानी

हाय, क्या अब जीने भी न देगी, सुन दीवानी

ये सुरूर ये गुरूर ये फितूर बड़ी मगरूर है

ये बांकपन कह रहा कुछ दिल में जरूर है

दिल में कोई तो बसा है किसी का तो नशा है

ये लकदक हुस्न देख क्या तू खुद पे फिदा है

कुछ तो इशारा कर इन चिलमनों की ओट से

एक बार नाम ही ले दे अपने गुलाबी होंठ से

श्री हरि



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