कुण्डलिया : "पौंची"
कुण्डलिया : "पौंची"
पौंची बाँधी हाथ म्ह, बहना करै गुमान।
धागे की या डोर ना, प्यार भाण का जान।
प्यार भाण का जान, मान तू रखणा भाई।
जीवन हो खुशहाल, दुआ करती माँ जाई।
आऊंगी हर साल, चहि आवै मेह आँधी।
रखणा मेरी लाज, भई न्यू पौंची बाँधी।