कुम्भ, फ़रवरी-2013.
कुम्भ, फ़रवरी-2013.
फ़रवरी दस साल तेरह,
शाम का था वक्त।
टिक-टिक करती,
घड़ी में बजा समय था सात
जो काल का था विकाल।
पसरा सन्नाटा जब आया काल,
शोर-शराबा से बुरा हाल।
दुख दर्द से भरा बारह साल का अंतराल,
मौनी अमावस्या का था विकाल।
आठ वर्ष बच्ची दबी,दबा सत्तर वर्ष का बूढ़ा।
ग्यारह करोड़ का मूल्य क्या ?
जब बचा न कई परिवार।
रोते बिलखते रह गए,
खुद उनके अपने जन परिवार।
कीमत लगाई प्राणों की,
केंद्र और राज्य सरकार।
तीन करोड़ छप्पन लाख,
बांटे सब परिवार।
बातें ली न जिम्मेदारी की,
बचती रहीं सरकार।
सिसकियों के शोर में सिमट गया,
इलाहाबाद का हर परिवार।