कुदरत
कुदरत
कुदरत से रूबरू हो कर मुझे अब खुदको भुला देना है
अब मन में जो कुछ भी आ जाए अब सिर्फ़ तुमको बताना है।।
कुदरत से रूबरू हो कर दिल को एक सुकून सा मिलता है
जहां ख़ुद की पहचान करने का नया मौका मिल जाता है।।
कुदरत से रूबरू हो कर आसमान में बादलों के साथ मुझे खेलना है
कुदरत से नया रिश्ता बनाकर बस अब वही कुछ देर तक रुक जाना है।।
कुदरत से रूबरू हो कर खुदको तलाश कर उस कुदरत जैसे बनाना है
जहां आम ज़िंदगी के कुछ पल खुद के लिए खुल कर एक बार जीना है।
