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MRIGENDRA SHRIVASTAV

Inspirational Others

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MRIGENDRA SHRIVASTAV

Inspirational Others

कुछ विचार कीजिये

कुछ विचार कीजिये

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अपनी मातृभाषा से, जी प्यार कीजिये ।

राजभाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये ।।


स्वर ही है ईश्वर, ओ बंधु शब्द ब्रह्म है ।

आद्य अक्षर है प्रणव, नाद ब्रह्म है।

ओंकार को ही, अंगीकार कीजिये ।

राज्य भाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये।।


शब्द मंत्र है जी, करिये शुद्ध उच्चार।

बाद देखिये फिर, इसका चमत्कार। 

चमत्कारी हिन्दी, नमस्कार कीजिये।

राजभाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये ।।


भाषा है जन-जन की, यह सरल, सहज बड़ी ।

राष्ट्रीय एकता की, है प्रबल कड़ी। 

इस कड़ी का, शुभ घड़ी विस्तार कीजिये।

राजभाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये ।।


देव भाषा संस्कृत की, है बड़ी लली।

होके तिरस्कृत क्यूँ, फिरती गली- गली ।

सजाइये,संवारिये, सत्कार कीजिये ।

राजभाषा पर भी, कुछ

विचार कीजिये ।।


शब्दकोश है समृद्ध,राजभाषा का ।

शब्द क्यों उधार लेते,अन्य भाषा

का।

अपनी आदतों में, कुछ सुधार कीजिये ।

राजभाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये ।।


हिन्दी राजभाषा है, बंधु स्वदेश की।

किन्तु राज कर रही, भाषा विदेश की।

दोषपूर्ण नीति को, धिक्कार दीजिये ।

राजभाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये।।


हिन्दी है बरसों से, भाषा अपने राज की।

फिर भी न बन पायी, भाषा कामकाज की ।

लिखिये, पढ़िये, बोलिये, व्यवहार कीजिये ।

राजभाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये ।।


राजभाषा का विषय, है स्वाभिमान का ।

है यही आधार, राष्ट्रोत्थान का।

संस्कृति महान, संस्कार लीजिये। 

राजभाषा पर भी, कुछ विचार कीजिये ।।

अपनी मातृभाषा से, जी प्यार कीजिये ।।



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