STORYMIRROR

MRIGENDRA SHRIVASTAV

Inspirational

4  

MRIGENDRA SHRIVASTAV

Inspirational

आजादी अभी अधूरी है

आजादी अभी अधूरी है

1 min
50


रोटी ,कपड़ा और मकाँ से ,अब भी थोड़ी दूरी है ।

ऐसा लगता है मित्रों, आज़ादी अभी अधूरी है।।


विद्यालय जाने वाले ,बच्चे ठेकों पर खटते हैं ।

अब भी उनको उन्नति के, सुविधा संसाधन घटते हैं।

पेट पालने खातिर, मजदूरी करने मजबूरी है ।। 

ऐसा लगता है मित्रों, आजादी अभी अधूरी है।।


घर की मांँ बहनें घर से ,बाहर जाने से डरती हैं।

रोज समाचारों में पढ़ते हैं, अबलायें मरती हैं ।

सीधे-साधों के गर्दन पर ,चलती अब भी छूरी है ।।

ऐसा लगता है मित्रों, आजादी अभी अधूरी है।।


भ्रष्टाचारी पनप रहे हैं, रोता शिष्टाचार है।

घर के अंदर, घर के बाहर ,होता अत्याचार है।

किसने दी इनको, मनमानी करने की मंजूरी है।।

ऐसा लगता है मित्रों, आजादी अभी अधूरी है ।।


प्रकृति और संस्कृति दोनों पर, हावी आज प्रदूषण है।

जहां देखिये, वहांँ सबल ,निर्बल का करता शोषण है।

बहुसंख्यक आबादी को ,कब्जे में लिये अंगूरी है।।

ऐसा लगता है मित्रों, आजादी अभी अधूरी है ।।


लोकतंत्र को लीकतंत्र ,कर डाला जिम्मेदारों ने ।

एक दूजे को मूर्ख बनाया, जनता व सरकारों ने ।

राष्ट्र भावना जन -गण में ,अब भरना बहुत जरूरी है।।

ऐसा लगता है मित्रों, आजादी अभी अधूरी है ।।


शिक्षित, सजग ,सबल ,संस्कारित, जब तक ना हो जनता।

लोकतंत्र को मिलती रहेगी ,ऐसे ही असफलता ।

लोकतंत्र हो पूर्ण ,तभी अपनी आजादी पूरी है ।।

ऐसा लगता है मित्रों, आजादी अभी अधूरी है।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational