कुछ सपने देखे थे मैनें
कुछ सपने देखे थे मैनें
कुछ सपने देखे थे मैने
सूरज सा सुनहरा बनने के
चाँद की तरह रोशन होने के
बारिश की तरह बेपरवाह बरसने के
और फूलों की तरह मुस्कुराने के
कुछ सपने देखे थे मैने
तितली सी रंग भरी हो दुनिया मेरी
पंछियों सा उन्मुक्त जीवन हो
पर्वतों सा अडिग अस्तित्व हो मेरा
किसी नदी सी कल कल बहती रहूँ
कुछ सपने देखे थे मैने
कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे रह गए
कुछ वक़्त की आँधी में बह गए
कुछ रेत की तरह हाथों से फिसल गए
कुछ उम्र के साथ बदल गये
कुछ सपने देखे थे मैने
अब भी आँखों में कई ख़्वाब हैं
उन्हें पूरा करने की दिल में आग है
अपनी इसी ज़िद्द के सहारे
एक दिन पूरे करुँगी वो सारे...
जो..कुछ सपने देखे थे मैनें!!