मौत
मौत
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कभी आँसू, कभी दर्द, कभी धोखा बनकर
वो आती है रोज़ मुझे डराने नए रंग बदल कर
वो समझती है मैं उसके डर के सामने हार जाउँगी
मैं भी ज़िद्दी हूँ बहुत, अपनी ज़िन्दगी जी कर दिखाउंगी
जब वो मुझे आने वाले कल की भयावह तस्वीर दिखाती है
तब भी मेरी आँखें भविष्य के सुनहरे सपने सजाती है
वो चाहती है मैं इस दर्द से थक कर उसके सामने झुक जाऊँ
पर अभी तो जीना है मुझे, ऐसे कैसे रुक जाऊँ
माना की जीना मुश्किल और मरना आसान बहुत है
पर अभी मुझे ज़िंदगी में करने काम बहुत है
दर्द के साथ जीना मुश्किल है, पर इतना भी सख्त नहीं है
मौत से कह दो, मेरे पास अभी वक़्त नहीं है