कुछ रातें भारी होती हैं
कुछ रातें भारी होती हैं
नसीब से हारी होती हैं
कुछ रातें भारी होती हैं।
दुनिया का तो पता नहीं
तुझसे बातें सारी होती हैं।
दाँव पे लगा दिया सब कुछ
खेली ऐसी पारी होती है।
रस्मों रवायतों के बीच में
फँसी इक नारी होती है।
सूरत से बढ़कर है सीरत
जान से प्यारी यारी होती है।
ख़ुशियाँ नहीं मिलती सबको
कुछ वक़्त की मारी होती है।
ख़ुद मिटकर देश हैं बचाते
यही सच्ची वफ़ादारी होती है।