कुछ पल
कुछ पल
कुछ पल होते पास है
कुछ पल होते बहुत दूर है
जिन पलों को हम समेटना चाहे
वो पल दूर से बहुत दूर हो रहे हैं ।
एक पल को जीवन निरस है
दूसरे ही पल बनता सरस है
कोयल कूकती है केवल पायस में
कौए कांव-कांव करे हर भोर जागरण में ।
एक पल का क्या है
दुसरा पल यहां है
रास्ते में खाई क्या आई
पलभर में चोट वहां खायी ।
एक पल को सोचा
दूसरे पल को मिला मौका
अपनी मेहनत की कमाई
मजदूरों से जमकर लूट ली गई ।
एक पल में पलकें क्या झपकाई
दूसरे पल में नींद आ धमकी
इधर उधर की बातें करते रहने में
अपनी बुरी बातें नजर ना आई नजरों में ।
एक पल की परछाई से
हार रहे सारे हर पलों में
सपना जो देख रहे वो अच्छा था
पल में टूटे तो दुःख तो होना था ।
एक पल में नजरों के सामने
दुसरे पल में नजरें छुपाये
चुप होके निकल लिए अकेले
नजारों के सामने नजरें ना मिला पाये ।
एक पल का प्यार
दुसरे पल का वार
डर गये वह जो कायर है
सह गये तो उनके सब कायल हैं ।
एक पल का काम
दुसरे पल का विकास
होते विरोधियों के अनेक परचम
हर पल साथियों के लिए खोजें मरहम ।
कुछ पल गर्मी कुछ पल सर्दी
जीवन के मौसम बड़े बेदर्दी
कुछ पल बदली से बारिश बरसी
हर पल व्यक्ति की जूबाने बदली ।
एक पल का काम
दुसरे पल बना विकास
उनसे पुछों उनके हर पल बिते कैसे
जिन्दगी जिन्होने काटी बिना किसी के सहारे
कुछ पल होते पावन है
कुछ पल होते पागल है
बीत जाते ऐसे ही बिन कहें
इन पलों के जितने कारक है।