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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

“ कुछ ना कुछ हम भी लिखते हैं “

“ कुछ ना कुछ हम भी लिखते हैं “

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कौन कहता है कि हम लिखते हैं ?

बस यूंही अपना दिल बहला लेते हैं !!

शब्दों का भंडार नहीं हैं !

अलंकारों का ज्ञान नहीं है !!

रस कितने होते हैं ?इसका भी अनुमान नहीं है !!

लय ,सरगम तो अच्छे लगते हैं !

सुर और तालों के गीतों को सुनते रहते हैं !!

हम भी इनलोगों को देखके कुछ सीखा करते हैं !

सीधी- साधी लहजों में हम भी कहते हैं !!

व्यंगों के बाणों को हम खुद सहते हैं !

भूलके भी लोगों को आहत नहीं करते हैं !!

श्रेष्ठों को आदर सत्कार समतुल्य को नमस्कार सदा करते रहते हैं !

छोटों को भी हम प्यार सदा किया करते हैं !! 

मौन नहीं रहना सीखा जब लिखना चाहा लिख बैठे !

प्यार जहां जरूरत पड़ती है प्यार वहीं हम कर बैठे !!


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