कुछ दिन
कुछ दिन
कुछ दिनों से
सूरज आता है
सुबह की उंगली थामे
पर मेरी खिड़की में
धूप नहीं होती ।
चिड़ियां चहकती हैं
पर उनके चहचहाने में
आवाज़ नहीं होती ।
नींद भी आती है
तो ऐसे कि
नींद में सोना नहीं होता ।
फूलों में रंग नहीं होते
घड़ी के चलने में
समय का चलना नहीं होता ।
सब कुछ होना
पर फिर भी
कुछ भी कहीं भी ना होना
शायद तुम्हारा ना होना है ।।