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नविता यादव

Abstract

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नविता यादव

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कुछ अपने लिए

कुछ अपने लिए

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कह दो उन हवाओं को,

अब हमें डर नहीं लगता

हमनें अपने आप को जान लिया,

अब हमें डर नहीं लगता


रुख़ तुम्हारा जिस तरह का हो,

बस इतना समझ लो,

हम हैं वो चट्टान जिस पर

किसी का ज़ोर नहीं चलता।


कायदे वही पुराने जिंदगी के अपने

लबों पे मुस्कान,

दिल में प्यार के फसाने

ताशिर हमारी वही,

पर परिवर्तन का आगाज़ भी


जड़ें हमारी वही पर खुशबू बिखेरने का

अपना नायाब अंदाज भी।

हर मौसम को गले लगा

मंत्र मुग्ध हो जाते हैं।


हम तो वो सदाबहार फूल है,

जो हर मौसम में खिलखिलाते है,

क्या रोकेगा, क्या तोड़ेगा

कोई ज़ोर हवा का हमें,


अगर फलक से जमी पर भी गिरे,

तो भी एक मीठी मुस्कान लिए मिलेंगे।

वही चमक हमारे वजूद में होगी

वही खनक हमारी आवाज़ में होगी।


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