कठपुतली
कठपुतली
हर इंसान कुदरत के
महफिल में कठपुतली है,
पूरा जीवन ही उसके
इशारे पर चलती है।
यह पूरी दुनिया है एक
रंगमंच की तरह है
जिंदगी किसी से बिछड़ती
है तो किसी से मिलती है।
हम क्यों नाचते हैं दूसरों
के इशारों पर यहां,
स्वयं के विवेक और बुद्धि
को समझ नहीं पाते।
खुद से सोच की तू क्या है
तेरा वजूद क्या है,
क्यों भटक कर हम राहों में
अच्छाइयों को है भुलाते।
