कठपुतली
कठपुतली
कठपुतली सी ज़िंदगी हो गयी है,
अभिनय करना भी मज़बूरी हो गयी है।
असलियत में लाख आप अपनी बात रखो,
दुनिया सिर्फ़ मतलबी हो गयी है।
कठपुतली
किसी को किसी का सच अब सच नहीं लगता,
किसी की व्यस्तता किसी को अब सच नहीं लगता।
कैसे जीते हैं सबको लेकर चलने वाले लोग,
किसी का सच बताना किसी को अब वास्तविक नहीं लगता
कठपुतली।