कतरा कुछ अभी बाकी है...
कतरा कुछ अभी बाकी है...
कुछ बात तो होगी उन में भी,जो हस्ती उनकी मिटती नहीं,
कुछ बात तो होगी, कि पत्तों पर, टहनियों पर आज तक
उनकी उंगलियों की अमिट छाप छटी नहीं,हटी नहीं,
करवट बदलता है मौसम, चले गए वो कर के गुमसुम,
पर बारिश उनकी स्मृतियों की आज तक रुकी नहीं,
कुछ बात तो ज़रूर होगी उन में भी, कि हस्ती उनकी मिटती नहीं।
उनकी कुर्बत नसीब हुई, कोई रहमत खुदा की थी,
उनकी बाहों में खुद को समेटे कितनी रातें गुज़ार दी थीं।
अभी भी उस सानिंध्य का खट्टा - मीठा एहसास बाकी है,
कुछ बात तो होगी उन में ज़रूर कि हस्ती उनकी मिटती नहीं।
अभी एक हवा का झोंका एहसास से उनके सराबोर हुए छू के गया था मुझको,
शोर बहुत था यहां वहाँ का, पर ध्वनि उनकी सुना गया था मुझको,
कैसे भूल जाऊँ, कैसे भुला दूँ इस एहसास को उनके,जो ज़र्रे -ज़र्रे में मौजूद है आज भी,
कुछ बात तो होगी उन में, कि हस्ती उनकी मिटती नहीं।
कल ही बर्फ गिरी थी ओलावृष्टि और तेज़ आंधी के संग,
कतरा - कतरा, कोना - कोना रंग गया था उनकी अमिट छाप के रंग,
सतरंगी उनके व्यक्तित्व की छाप,
उनकी तबस्सुम की छाया आज भी इस ह्रदय पे अंकित है,
कुछ बात तो होगी उन में कि जुस्तजू उनकी अब भी बाकी है।
जीवन भले ही ख़त्म हों जाता,
एहसास सीने के किसी कोने में दबा रह ही जाता है,
गुंजन हर पल कर - कर के,
पुरानी यादों की झड़ी संग ले ही आता है।

