कस्तूरी
कस्तूरी
किसी दिन आऊंगी
अचानक तुम्हारे शहर,
जैसे पवन का झोंका
दिन भर के उमस के बाद,
जैसे आता है कोई आवारा बादल
बेमौसम गोधुली बेला के ठीक पहले,
वैसे ही आऊंगी अचानक तुम्हारे सामने
झप से और जैसे कोई परदेशी
लौट के आता है घर और गले लगाता है
प्रियतम को वैसे गले लगा के
में कस्तूरी बन जाऊंगी......