कृष्ण प्रेम
कृष्ण प्रेम
तन का श्रृंगार मन भी करे सरोबार
दिल में उपजेगा प्यार सत्य मान लो।
प्रभु चरन सहाय, प्रीत प्रभु में लगाय
एक वह ही अभिप्राय बात जान लो।
है सांवला सरकार,वही जगत आधार
देता सबको सम्हाल मन में ठान लो।
वही है पालनहार करो उसी से ही प्यार
यार अनन्या की ये बात गांठ बांध लो।