करो उपास चढ़ावो भोग
करो उपास चढ़ावो भोग
(दशाक्षरी रचना)
भोग चढ़ावो नवरात्रीमा
नियमलका करो उपास।
करो समापन नवमीला
बड़ो शुभ से अश्विन मास।। १।।
पयलो दिन शैलपुत्रीला
घीव गायको चढ़ावो भोग।
दुर्गा मायको करे उपास
भक्त वु रहे सदा निरोग।। २।।
प्रसन्न होये ब्रह्मचारीणी
दूसरो दिन साखर देवो।
घरं सबकी बढ़े उमर
ब्रत करके उपास ठेवो।। ३।।
करो उपास चढा़वो भोग
तिसरो दिन दुधकी खीर।
दुःख करे दूर चंद्रघंटा
जीवन बीते आनंदशीर।। ४।।
कुष्मांडासाती चवथो दिन
मालपुवाको चढ़ावो भोग।
दुर्गा मायको उपासकका
नाश होसेती सप्पाई रोग।। ५।।
पाचवो दिन स्कंदमाताला
केरा चढ़ावो करो उपास।
कार्तिकेयकी माता तुमला
देये सिध्दि ना सेहत खास।। ६।।
शहद चढ़ावो साव्वो दिन
कात्यायनीकी करो रे भक्ती।
उपास करे वोनं भक्तकी
बढ़ जासे आकर्षण शक्ती।। ७।।
गुड़ चढ़ावो सातवो दिन
कालरात्रीको करो उपास।
शोक संकट दूर होयेती
भूत पिशाचको होये नाश।। ८।।
महागौरीको करो उपास
अष्टमीला नारेन चढ़ावो।
असंभव काम पूर्ण होये
दुर्गा मायकी भक्ती बढ़ावो।। ९।।
नववो दिन तिरको भोग
उपास पावसे सिध्दिदात्री।
घटना अनहोनी टालसे
अभय देसे या नवरात्री।। १०।।