करनी का फल।
करनी का फल।
शहर है वीरान जिन्दगियों का,
स्वयं से अंजान जिन्दगियों का।
शहर में एक दूर के रिश्तेदार है,
खूब धन-दौलत ऐशो-आराम है।
सरकारी नौकरी सारी उम्र की है,
कंजूसी में सारी हदें पार करते है।
आँखों पर सदा पर्दा पड़ा हुआ है,
दिमाग आसमान पर जा चढ़ा है।
रब जी ने छप्पर फाड़कर दिया है,
ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती।
माँ-बाप की संपत्ति डकार चुके है,
अब करनी का फल भुगता रहे है।