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Nilofar Farooqui Tauseef

Inspirational

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Nilofar Farooqui Tauseef

Inspirational

करिश्मा कुछ ऐसा हुआ

करिश्मा कुछ ऐसा हुआ

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मायूसी और बेबसी ने घेर लिया था।

चारों तरफ़ ज़िन्दगी ने अंधेर किया था।


एक-एक तिनका, आशियाँ का बिखर गया।

बसा-बसाया घर पल में उजड़ गया।


एक दुर्घटना ने, छीन लिया माता-पिता का साथ,

तब से दिखाई देती सिर्फ़ आत्महत्या का साथ।


सड़क किनारे देख एक वृद्ध पे तरस आया।

उसकी कहानी सुन,छोटा लगा अपना ग़म का साया।


शहीद के पिता होने पे उसे फ़ख्र था।

पर उसके हर लफ्ज़ में एक ज़िक्र था।


करिश्मा कुछ ऐसा हुआ,ज़िंदगी ने रुख़ मोड़ दिया।

ख़ुद से नहीं, ग़ैरों से नाता जोड़ लिया।


ज़िन्दगी ख़ुद के लिए जिया तो किया एहसान जिया।

ज़िन्दगी औरों के नाम किया तभी क़ुर्बान किया।


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