कोरोना को हराना है
कोरोना को हराना है
ऐसे हावी है, कोरोना इंसान के मन में,
भूल गया कि, आ गया बसंत आंगन में।
ना ही किसी को सुध बसंत के आने की,
खड़ा आम्रवृक्ष नहीं कूकती कोयलिया।
हैं सारे रास्ते उदास, सूनी सूनी गलियाँ,
सूना आंगन, और सूनी सारी अटरीया।
कुंडली मार कर ऐसे बैठा है ये कोरोना,
बसंत के आने पर भी मन नहीं बौराया।
ये सही नहीं है, हमे सही सलामत रहना है,
और कोरोना को बहुत बुरी तरह हराना है।
