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Nisha Nandini Bhartiya

Drama

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Nisha Nandini Bhartiya

Drama

कोरा कागज़

कोरा कागज़

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हाँ ! मैं कोरा कागज हूँ 

सबसे अलग हूँ  

लिखना बहुत सोच समझ कर 

मत करना गंदा 

मेरे वजूद को 

मैं बहुत पाक हूँ। 


हूँ जब तक कोरा 

तब तक खास हूँ 

बहुतों ने लिखा मुझ पर

और हो गए अमर 

मत लगाना कालिख मुझ पर 

हूँ मैं तो रोशनाई से रोशन। 


लिखना कुछ ऐसा 

कि हो गर्व अपने पर

हर शब्द है मुझसे रोशन- 

जब मैं निहारता हूँ                 

प्रत्येक उम्दा शब्द को 

तो खुशी से नि:शब्द हो जाता हूँ। 


रह कर कोरा 

मैं बहुत खश हूँ

दाग युक्त करके 

मत छोड़ देना मुझे

रूह मेरी भी दुखती है

मेरे पाक दामन पर 

प्रेम की रंगीन स्याही से 

कर देना कुछ ऐसा चिंह्नित 

ताउम्र याद करूँ तुमको। 


संभालना कोरे कागज़ को 

है आता नहीं सबको 

करके नापाक

कूड़े कचरे में

छोड़ दिया जाता है

गर नहीं दे सकते अपनत्व 

तो मुझे पाकीजा ही रहने दो 

क्यों लेते हो मेरा हाथ

अपने हाथ में। 


छू कर क्यों करते हो मैला 

अनछुए की पीड़ा 

सह ली जाती है 

पर मैला होकर भार ढोना 

असहनीय हो जाता है 

हाँ ! मैं कोरा कागज हूँ 

मुझे पाक ही रहने दो 

लिख सको तो तुम।

 

ढाई अक्षर प्रेम के लिख दो

अन्यथा मैं कोरा था 

मुझे कोरा ही रहने दो 

हाँ ! मुझे कोरा ही रहने दो।


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