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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

कोई वक़्त मुकर्रर कर दे तू

कोई वक़्त मुकर्रर कर दे तू

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कोई वक़्त मुकर्रर कर दे तू ,

मेरे आने का कोई ठौर बता ,

या मुझ को कहीं पर ले चल तू ,

या मेरे संग जीवन तू बिता।


मैं रोज़ ही तेरी राह तकूँ ,

नैनो के दर्पण में तुझको धरूँ ,

तू जब मर्जी मुझे आने को कहे ,

ये कैसे होगा मुमकिन यूँ भला ?


उस रात में तू जगता ही रहा ,

इधर मैं भी देख सोई ही नही ,

पर अपना मिलन हो ही ना सका ,

हम दोनो के बीच समय था खड़ा।


एक ऐसा वक़्त बता मुझको ,

जिसमे ना कोई हो हम दोनो के सिवा ,

जब इस तन्हा तन में आग लगे ,

और आग बुझे तेरी बातों से यहाँ।


तेरे इश्क की मैं हूँ दीवानी ,

उलझन में घिरी हूँ देख ज़रा ,

कोई वक़्त मुकर्रर कर दे तू ,

मेरे आने का कोई ठौर बता ।

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