कोई मोल नहीं
कोई मोल नहीं
सूरज ना होगा तो किरणों का क्या मोल होगा,
चाँद ना होगा तो चांदनी का क्या मोल होगा,
धरती ना होती तो इंसान का क्या मोल होगा,
सागर ना होता तो लहरों का क्या मोल होगा,
दीया ना होगा तो बाती का क्या मोल होगा,
फूल ना होंगे तो भँवरों का क्या मोल होगा,
लैला ना होती तो मजनू का क्या मोल होता,
धूप ना होगी तो छाया का क्या मोल होता,
प्यास ना होती जीवन में तो बारिश का
क्या मोल होता,
भूख ना होती तो खाने का क्या मोल होता,
ईश्वर ना होता इस जहान में तो भक्ति का
क्या मोल होता,
माँ ना होती इस जहान में तो जन्नत का क्या
मोल होता,
दोस्ती ना होती तो प्यार का क्या मोल होगा,
दोस्ती ही सिखाती है जीवन जीने का तरीका,
तेरे बिना मेरा भी कोई मोल नहीं ऐ दोस्त,
तेरी दोस्ती बिना मेरा कोई मोल नहीं ज़माने में।