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VanyA V@idehi

Tragedy

5  

VanyA V@idehi

Tragedy

कोई आएगा या नहीं?

कोई आएगा या नहीं?

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5


आज फिर पंखे से झूल गई 

वह मासूम लड़की

जिंदगी से हारकर 

निरंतर झूल रही है

मेरे मस्तिष्क में और

मन में झूल रहे हैं

कई प्रश्न...


वह तो सहज, सरल,

सुमधुर मुस्कान की

मलिका थी

चंद घंटे पहले तक

हंसती खिलखिलाती

उस निर्मल प्राण ने

क्यों किया यह अपराध ?

हाँ, अपराध ही तो

कहती है इसे 

हमारी न्याय व्यवस्था !


असंख्य बच्चे, युवा और

अवसादी क्या सचमुच

करते हैं अपराध ?

या फिर शब्दों के 

धारदार और मारक 

हथियार

निष्ठुरता पूर्वक 

चला दिये जाते हैं

मन रूपी शरीर पर।

घायल हो जाती हैं

हृदय रूपी भावनाएँ

और बह जाता है

रक्त रूपी सारा विवेक !


नहीं, वे आत्महत्याएँ नहीं,

हत्या ही हैं... 

सुनियोजित और क्रूरतम !


कौन करेगा न्याय,

देगा दण्ड? 

ऐसे असंख्य

अपराधियों को !

जो कई बार होते हैं-

स्वयं अभिभावक,

शिक्षक, समाज, प्रेमी और

कोई निकट सम्बन्धी आएगा या नहीं !!


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