कोहरा
कोहरा
जब उष्णता में आये कमी
अवशोषित कर वो नमी
रगों में सिहरन का
एहसास दिलाये
दृश्यता का ह्रास कराता
सफर को कठिन बनाता है
कोहरा चारों ओर फैलता जाता है।
संयम से सजग हो
निकट धुंध के जाओ..
और भीतर तक जाओ
कोहरे ने सूरज नहीं निगला है
सूरज की उष्णता निगल
लेगी कोहरे को।
सामाजिक, राजनीतिक
परिदृश्य भी त्रास से
धुंधलाता जा रहा
रिश्तों की धरातल पर
स्वार्थ का कोहरा छा रहा
संबंधों की कम हो रही उष्णता
अविश्वास द्वेष की बढ़ रही आद्रता
कड़वाहट बन सिहरन दे रही
विश्वास, प्रेम की किरणें
लिए अंदर जाते जाओ
दूर से देखने पर
सब धुंधला है
पास आते जाओगे
दृश्यता बढ़ती जायेगी
तस्वीर साफ नजर आएगी।