कन्यादान क्यों?
कन्यादान क्यों?
माना कि,
भारतीय संस्कृति में ,
कन्यादान महादान ,
कहलाता है।
बेटियों को,
दान देने की वस्तु ,
आखिरकार कब तक,
समझा जाएगा।
माता-पिता से,
अथाह दूरी को,
कब तक प्रतिबन्धों में,
जकड़ा जाएगा।
त्याग समर्पण भाव के ,
आभूषणों से,
कब तक कन्या का,
सृजन किया जाएगा।
कन्या वर दोनों,
एक दूजे के पूरक बनें,
सम्मान करेंगे तो,
किन्चित ही बदलाव आएगा।
सोचो ? सभी अपने,
बंधनों को निष्ठा से,
निभाएं ,समझेंगे तो,
धरा स्वर्ग पर आ जाएगा।
सिसकियाँ मिट जाएँगी,
बोझिल यातनाएँ,
पंजे न पसार पाएँगी,
नेह स्नेह संसार बस जाएगा।
सात फेरों के वचन,
पीले हाथों की रस्म,
बराबर समझेंगे तो,
कन्यादान समझ आएगा।
