कन्या भ्रूण हत्या
कन्या भ्रूण हत्या
मां क्या तुम मुझे महसूस कर सकती हो,
शायद हां..
मैं हर रोज तुमको इशारों से अपने होने का एहसास कराती हूं ना मां,
मां मुझे तुम्हारी इस दुनिया में आना है जो मैंने तुम्हें आंखों से देख रखी है,
मां मुझे आप लोगों की खुशी देखनी है जो मेरे आने से होने वाली है,
सब खुश है ना मां कि मैं खुदा के घर से आ रही हूं,
मां मैं बहुत उतावली हूं तुमसे मिलने के लिए, पापा के साथ खेलने के लिए,
दादी की गोद में सोने के लिए, दादा के सिखाएं कुछ अल्फाज बोलने के लिए,
पर मां ये सफेद कोट वाला शख्स कौन है जिसके कुछ अल्फाजो ने,
"आपके घर में बेटी होने वाली है" सबके चेहरे की खुशी ही छीन ली है,
मां.. मां... सुनो ना वह मुझे दफन करने की बात कह रहे हैं,
उसे दफना मत करो ना मां मुझे भी इस दुनिया में आने दो ना मां,
मां मैं वादा करती हूं कि मेरे आने के बाद जो आपकी आंखों में आंसू है,
वो फिर कभी ना आएंगे,
मां मैं आप सबको खुश रखूंगी,
मां इन्हें समझाओ ना कि मैं लड़कों से भी आगे निकलूंगी,
मैं कक्षा में भी अव्वल आऊंगी,
देश तो क्या मैं दुनिया में भी आपका नाम रोशन करूंगी,
मां मुझे एक बार तो इस दुनिया मे कदम रखने दो,
मुझे दफ़न मत करो ना मां.. सुनो ना मां,
सुन रही थी वो मां इस मासूम की चीख
पर हालातों की बेड़ियों ने उसे पूरी तरह जकड़ रखा था,
तभी तो ना चाहते हुए भी देना पड़ा
अपने दिल के टुकड़े को हैवानों के हाथों में।
