Sneha Swadha

Tragedy

4.5  

Sneha Swadha

Tragedy

कमी

कमी

1 min
307


तू पास है फिर भी कुछ कमी सी हैं

दिल की हर आस दबी सी हैं

सोचा था तू सिर्फ मेरा है

जब भ्रम टूटा तो तू टुकड़ों में बटा बैठा है


टुकड़ों मे जीने की आदत नहीं मुझे 

ऐसी जिंदगी की चाहत नहीं मुझे 

मौत तो सिर्फ मेरी होगी 

तब जाकर समूची चादर मेरी होगी!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy