Sneha Swadha
Tragedy
तू पास है फिर भी कुछ कमी सी हैं
दिल की हर आस दबी सी हैं
सोचा था तू सिर्फ मेरा है
जब भ्रम टूटा तो तू टुकड़ों में बटा बैठा है
टुकड़ों मे जीने की आदत नहीं मुझे
ऐसी जिंदगी की चाहत नहीं मुझे
मौत तो सिर्फ मेरी होगी
तब जाकर समूची चादर मेरी होगी!
अधूरे ख़ाब...
कमी
दुनिया का पाख...
क्या मैं आज़ा...
लॉकडाउन
सोने की चिड़ि...
सावन
यादें बचपन की
बहना
भैया
सिर्फ तुम ही हो, जिस पर विश्वास किया मैंने। सिर्फ तुम ही हो, जिस पर विश्वास किया मैंने।
फल,अनाज,अंडे कुछ नहीं बचेगा क्यों नहीं सम्भलते हैं ? फल,अनाज,अंडे कुछ नहीं बचेगा क्यों नहीं सम्भलते हैं ?
पर अब तो मोहब्बत में शरीर का मिलन होता है।। पर अब तो मोहब्बत में शरीर का मिलन होता है।।
पक्की सियांही से लिखेंगे तुम्हारी कहानी की हो जाये आग से जुदा खोलता पानी। पक्की सियांही से लिखेंगे तुम्हारी कहानी की हो जाये आग से जुदा खोलता पानी।
हर टूटे ख्वाब को समेटा मैंने ,ख्वाब देखने के ख्याल से ही ,सिहरती हूँ अब मैं। हर टूटे ख्वाब को समेटा मैंने ,ख्वाब देखने के ख्याल से ही ,सिहरती हूँ अब मैं।
कुछ बताते नहीं तो ठीक था, कुछ लिख़ता न था सही था। कुछ बताते नहीं तो ठीक था, कुछ लिख़ता न था सही था।
गौ मां पर दया करो, तुम गौ मां की सेवा करो। गौ मां पर दया करो, तुम गौ मां की सेवा करो।
मानो ये शब्द स्याही से नहीं आंसू की बूंदों से लिखे हों भाई, हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई। मानो ये शब्द स्याही से नहीं आंसू की बूंदों से लिखे हों भाई, हाय राम फिर आई ९व...
मेरे शिकायतें, इच्छाओं और ख्वाबों का करूँ क्या ही इजहार? मेरे शिकायतें, इच्छाओं और ख्वाबों का करूँ क्या ही इजहार?
लिखे होंगे आज भी चंद अल्फ़ाज़ मेरे लिए। आज भी याद में मिरी,कोई डूबा कर रोया होगा।। लिखे होंगे आज भी चंद अल्फ़ाज़ मेरे लिए। आज भी याद में मिरी,कोई डूबा कर रोया ह...
वक़्त इतना ना लगा मुझे विदा करने में और ठहरा तो दिल से भी उतर जाऊँगा वक़्त इतना ना लगा मुझे विदा करने में और ठहरा तो दिल से भी उतर जाऊँगा
कल जन्मदिन पर आए थे, सुंदर सा तोहफा लेकर। कल जन्मदिन पर आए थे, सुंदर सा तोहफा लेकर।
भयभीत हो गई नाजुक सी लड़की, कॉकरोच का देखा जब स्वरूप। भयभीत हो गई नाजुक सी लड़की, कॉकरोच का देखा जब स्वरूप।
हाय ! ये आंँसू छलक पडेगे, हमको जीना आ जाये तो। हाय ! ये आंँसू छलक पडेगे, हमको जीना आ जाये तो।
ऊपर से बेपरवाह, अंदर से परेशान हु मैं देख जिंदगी की मुसीबतें हैरान हूं मैं। ऊपर से बेपरवाह, अंदर से परेशान हु मैं देख जिंदगी की मुसीबतें हैरान हूं मैं।
सड़कें रोकती नहीं किसी राही को, वह देखती रहती हैं। सड़कें रोकती नहीं किसी राही को, वह देखती रहती हैं।
कोई जख्म दिल का दिखाते भी कैसे? भला लौट कर हम आते भी कैसे? कोई जख्म दिल का दिखाते भी कैसे? भला लौट कर हम आते भी कैसे?
प्रयास करते है फिर भी नहीं मिलती मंजिल, प्रयास करते है फिर भी नहीं मिलती मंजिल,
राई का पर्वत बनाकर "मुरली", तू नफरत की आग में जला गया। राई का पर्वत बनाकर "मुरली", तू नफरत की आग में जला गया।
मंथन करना दिल की गहराइयों का कहीं कुछ शेष तो नहीं रह गई मंथन करना दिल की गहराइयों का कहीं कुछ शेष तो नहीं रह गई