यादें बचपन की
यादें बचपन की
पले संग, बढ़े संग,
रोना हँसना भी होता था तेरे संग
जब जब खींची तेरी टाँग,
मम्मी ने लगाई हैं मुझको डांट
बचपन की वो तकरार,
टशन भी रहता था हर दम बरकरार
खींची है तेरी चोटी, आज भी
कह कर चिढ़ता हूँ मैं तुझको मोटी
बड़ी हो या छोटी तुम सब हो खोटी।