Sneha Swadha
Abstract
देखो रे सखी सावन आया
मेरे तेरे सब के दिल को भाया
संग अपने हरे रंग की सौगात लाया
साज, सिंगार और बागो मे झूले
मन इतराए दिल झूमे हौले हौले
भोले को रिझाऊ संग मईया पार्वती को मनाऊँ
कर के वंदना दोनों की
सावन के इस महापर्व मनाऊँ।
अधूरे ख़ाब...
कमी
दुनिया का पाख...
क्या मैं आज़ा...
लॉकडाउन
सोने की चिड़ि...
सावन
यादें बचपन की
बहना
भैया
दुनिया में सबसे सच्चा और ऊंचा माता-पिता का प्यार, दुनिया में सबसे सच्चा और ऊंचा माता-पिता का प्यार,
फर्क सिर्फ इतना है हर अवस्था में सोच से ही जीवन को बदलता है । फर्क सिर्फ इतना है हर अवस्था में सोच से ही जीवन को बदलता है ।
आंखें पत्थर सी खुली रह गई, इस सावन के इंतजार में आंखें पत्थर सी खुली रह गई, इस सावन के इंतजार में
आंखें सब बयां करती है जिंदगी एहसान करती है आंखें सब बयां करती है जिंदगी एहसान करती है
आंखों से उतर कर दिल की गहराइयों तक तासीर कर गई।। आंखों से उतर कर दिल की गहराइयों तक तासीर कर गई।।
जिंदगी की हकीकत से , क्या तुम भी परेशान हो? जिंदगी की हकीकत से , क्या तुम भी परेशान हो?
प्रेरणादायी, सुखकारी बातों का मालिक नज़रे झुकी हुई, मुंह पर कालिख। प्रेरणादायी, सुखकारी बातों का मालिक नज़रे झुकी हुई, मुंह पर कालिख।
ये इश्क नहीं आसान तुमने कहा था मुझे मगर हो गया इश्क तुमसे। ये इश्क नहीं आसान तुमने कहा था मुझे मगर हो गया इश्क तुमसे।
आंसू से अपना पलकें भिगा कर जो रो पड़ा वो मैं हूँ। आंसू से अपना पलकें भिगा कर जो रो पड़ा वो मैं हूँ।
जग की कुटिल कलाओं से, मेरी उपमा कर डाली। जग की कुटिल कलाओं से, मेरी उपमा कर डाली।
और फिर दिनदहाड़े एक कविता की मौत हो जाती है। और फिर दिनदहाड़े एक कविता की मौत हो जाती है।
कभी तू सजा मिलता सेहरा में। फूल तू जो भी है, न्यारा है कभी तू सजा मिलता सेहरा में। फूल तू जो भी है, न्यारा है
काश इस बारिश से मन में हरियाली आ जाए काश इस बारिश से मन में हरियाली आ जाए
किसी की कही सुनी बातों में आकर टूट जाते है ये रिश्ते, किसी की कही सुनी बातों में आकर टूट जाते है ये रिश्ते,
हवा से बात करती अट्टालिकाएं, हैं मौन, चुपचाप सी खड़ी। हवा से बात करती अट्टालिकाएं, हैं मौन, चुपचाप सी खड़ी।
ओ प्यारी कविता ओ मेरी कविता कितनी तड़पन है तुझ में ऐसे क्यों उतर के आती है तू मेरे म ओ प्यारी कविता ओ मेरी कविता कितनी तड़पन है तुझ में ऐसे क्यों उतर के आती है तू...
एक पल को तो मैं सब कुछ छोड़ना चाहता हूं! एक पल को तो मैं सब कुछ छोड़ना चाहता हूं!
एक बड़ा भौरा सुबह- सुबह , गीत गाता गुनगुनाता रे । एक बड़ा भौरा सुबह- सुबह , गीत गाता गुनगुनाता रे ।
ये रीति रिवाज संस्कृति के बोझ का हिस्सा भी लड़कों पर लाद दिया जाता ये रीति रिवाज संस्कृति के बोझ का हिस्सा भी लड़कों पर लाद दिया जाता
सात सुरों से बना ये संगीत। जैसे मन में बस जाए प्रीत। सात सुरों से बना ये संगीत। जैसे मन में बस जाए प्रीत।