Sneha Swadha
Abstract
देखो रे सखी सावन आया
मेरे तेरे सब के दिल को भाया
संग अपने हरे रंग की सौगात लाया
साज, सिंगार और बागो मे झूले
मन इतराए दिल झूमे हौले हौले
भोले को रिझाऊ संग मईया पार्वती को मनाऊँ
कर के वंदना दोनों की
सावन के इस महापर्व मनाऊँ।
अधूरे ख़ाब...
कमी
दुनिया का पाख...
क्या मैं आज़ा...
लॉकडाउन
सोने की चिड़ि...
सावन
यादें बचपन की
बहना
भैया
है यही आधार मेरे अस्तित्व का, मेरे जीवन की नींव।। है यही आधार मेरे अस्तित्व का, मेरे जीवन की नींव।।
"मतंग के राम" का आभार धन्यवाद कर रहे हैं जय श्री राम का जयघोष कर रहे हैं। "मतंग के राम" का आभार धन्यवाद कर रहे हैं जय श्री राम का जयघोष कर रहे हैं।
मुस्कुराई महिला ऐसे, जैसे दौलत है कुछ पा लिया। मुस्कुराई महिला ऐसे, जैसे दौलत है कुछ पा लिया।
इक निश्छल, निडर, निस्वार्थ, निधड़क स्त्री हूँ मैं। इक निश्छल, निडर, निस्वार्थ, निधड़क स्त्री हूँ मैं।
समुद्रीतट पास ही एंटोनी रूडोल्फ मैव्यु ये चित्रकारी रच रहे थे। समुद्रीतट पास ही एंटोनी रूडोल्फ मैव्यु ये चित्रकारी रच रहे थे।
ना जाने ये जीवन कहां लेकर चले जाते है। ना जाने ये जीवन कहां लेकर चले जाते है।
कोई कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है जो अभी भी इज्ज़तदार है, लाचार वही है। कोई कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है जो अभी भी इज्ज़तदार है, लाचार वही है।
ये तो श्रीराम की सोच जुबानी है ये तो श्रीराम की सोच जुबानी है। ये तो श्रीराम की सोच जुबानी है ये तो श्रीराम की सोच जुबानी है।
बचपन की यादें रंगीन हैं, खेल-खिलौनों की मधुर मुस्कान हैं। बचपन की यादें रंगीन हैं, खेल-खिलौनों की मधुर मुस्कान हैं।
तुम सब तन में प्रेम खोज रहे हो मेरा उनका प्रेम तो हृदय से हृदय में बहेगा तुम सब तन में प्रेम खोज रहे हो मेरा उनका प्रेम तो हृदय से हृदय में बहेगा
गर्भ में मर गई बेटी, तूने उसे बचाया क्यो नही। गर्भ में मर गई बेटी, तूने उसे बचाया क्यो नही।
एक मनहूस खबर ने समूचे राष्ट्र को स्तब्ध कर दिया। एक मनहूस खबर ने समूचे राष्ट्र को स्तब्ध कर दिया।
कभी-कभी अपने आप में खुश रहो छोटी-सी तो ज़िंदगी है, हर हाल में खुश रहो। कभी-कभी अपने आप में खुश रहो छोटी-सी तो ज़िंदगी है, हर हाल में खुश रहो।
पर तुमने क्या किया क्या तुमने मुझे दिल में बसाया। . पर तुमने क्या किया क्या तुमने मुझे दिल में बसाया। .
कहे "सुधीरा" मैं तुम्हारे काले-सफेद हर रंग को गले लगाती हूँ। मैं हर महीने भीग जाती हूँ कहे "सुधीरा" मैं तुम्हारे काले-सफेद हर रंग को गले लगाती हूँ। मैं हर महीने भीग...
मां मुझे तेरी एक एक बात याद आती है। मां मुझे तेरी एक एक बात याद आती है।
रुको मैं भी आ रहा हूँ साथ में जीने मरने की कसमें खाई थी की नहींं।। रुको मैं भी आ रहा हूँ साथ में जीने मरने की कसमें खाई थी की नहींं।।
पंछी नील गगन में फिर उड़कर शांति सद्भाव का संदेश दे रहे होंगे। पंछी नील गगन में फिर उड़कर शांति सद्भाव का संदेश दे रहे होंगे।
और उन्हें समाज के द्वारा घृणा का पात्र भी बनना पड़ता है। हमारे समाज को इसे सुधारने का और उन्हें समाज के द्वारा घृणा का पात्र भी बनना पड़ता है। हमारे समाज को इसे सु...
मेरे घर की हर दीवार हर कोना कोना मुझसे कुछ न कुछ जरुर कहता है।। मेरे घर की हर दीवार हर कोना कोना मुझसे कुछ न कुछ जरुर कहता है।।