STORYMIRROR

Kishor Zote

Abstract

3  

Kishor Zote

Abstract

कलम कसाई

कलम कसाई

1 min
658

हत्या सिर्फ चाकू

बंदूक या हत्यार से 

नही होती वह होती

कलम की धार से


कलम चलाकर

दिन दहाड़े होते खून

ना कोई जज्बात 

ना मिलता कोई सुकून


हत्यारों को देते

सजा जैसे कोई

प्यार जीते सबकुछ

पढ़कर प्यार अक्षर ढाई


हत्यारे वो भी है

जो कलम की नोक पर

जान लेते हजारों

इनाम रखो कलम कसाई पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract