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Arvina Ghalot

Abstract

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Arvina Ghalot

Abstract

कलम बोलती है

कलम बोलती है

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जब कलम कार की कलम बोलती है

बहुतो के राज खोलती है।

कभी धीमी कभी तेज चलती है

कभी मोहब्बत का पैगाम।


कभी तीखे तंज कसती है

किसी की कथा कहती है।

तो किसी की व्यथा

जब कलम कार की कलम बोलती है।


किसी को हँसाती है

तो कभी रूलाती है।

अभिव्यक्ती की पराकाष्ठा

गीतो में आस्था।


वीरों की गाथा।

रानी के जौहर

इतिहास के पन्ने पलटती है

जब कलम कार की कलम बोलती है।


मौसम की मादकता

विरहन का ताप।

दिलो में पलता संताप

व्यंगयों के बाण।

नैतिकता का पाठ

जब कलम कार की कलम बोलती है।


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