कलम और ख्याल
कलम और ख्याल


एक कलम लिखती है कुछ कही
कुछ अनकही बात।
कुछ छुये कुछ अनछुये पल,
कुछ नयी कुछ पुरानी बातें।
कुछ हंसी के पल तो
कुछ दर्द के लम्हे,
कुछ कँपकँपाते पल
तो कुछ डराते चेहरे।
कलम की लिखावट लिखती है
भंवरे की गुंजन, नदियों की कलकल
करती आवाज तो कहीं लिखती है
सुनसान राहों की अनसुनी कहानी।
कुछ आसमान से ऊँचे सपने तो
कुछ हकीकत से जुड़े ख्वाब।
कलम की उड़ान ना रूकी है
ना झुकी है कभी चलती रहती है।
ना रूकने वाली उस डगर की तरह
जिस पर कुछ फूलों से सवाल है
तो कुछ कंटीले जवाब भी।
कलम किसी से कम नहीं
यह आज भी कायम और कल भी।