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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

4.3  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

कलाम

कलाम

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धनुषकोड़ी में जन्मा रामेश्वरम का उजियारा,

संघर्ष का मशाल थामे चलता फिरता गलियारा ।

एक परिंदा क्या उड़ा आसमॉं में,

सुन लिया जमीं से जैसे बादलों ने पुकारा ।।


गुरु शिक्षा तीव्र इच्छा आस्था और अपेक्षा,

थक हार कर देनी पड़ी थी अग्नि की परीक्षा ।

त्याग अर्पण समर्पण है सब,

सर्वस्व त्याग दिया कर्म था सुरक्षा ।।


रोहिणी अग्नि और मिसाइल पृथ्वी,

धर्मांधता से परे मानवता का तपस्वी ।

परमाणु परीक्षण पोखरण में करवाया,

धन्य धन्य था वह विद्या विशिष्ट वर्चस्वी ।


अनुशासन शाकाहार सादगी अपनाया,

कुरान गीता का संग पाठ कराया ।

प्रेरक प्रौद्योगिकी प्रत्यक्ष लाया,

भारत रत्न अंतिम श्वांस शिलांग में बिताया ।।


अग्नि पंख दे गया उस कलाम का इरादा,

बड़ा अनोखा था वो गरीबों का शहजादा ।

जब तक जला चराग़ रोशन करता रहा,

वह शमा क्या बुझा रो गया हंसता घरौंदा ।।


अब समय रहते खुद संभलना होगा,

धुन में तालियां होंगी या हाथ मलना होगा ।

और तुम बिन अंधियारा दूर चलना होगा,

सूरज का चमकने को सूरज सा जलना होगा ।।


लौट आओ परिंदे तुम्हारा पूरा इंतजाम है,

चीन-पाकिस्तान अपनों में मचा कोहराम है ।।

कोरोना के कारण कत्लेआम है,

आंखें तरस गई कहॉं मेरा कलाम है ।।



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