कल की बात
कल की बात
कल की ही तो बात है
मैं तुम्हें पुकार रहा था
और तुम्हारी खनकती हुयी हंसी
कानों से टकरा रही थी
मैं हतप्रभ सा नजरें घुमा
ढूंढ रहा था तुम्हे चारो तरफ
और तुम्हारी खनकती हुयी हंसी
मेरे और करीब आ रही थी
आज भी तुम्हारी हंसी
खनक रही है
हवा में, बारिश में
हरियाली में
और आज भी तुम ओझल हो
नजरों से।