कल भी सूरज उगेगा
कल भी सूरज उगेगा
कल भी सूरज उगेगा
रात का अंधकार मिटेगा
मन में नयी ऊर्जा
नये संचार के साथ,
जीवन अब प्रकाशवान होगा
कल भी सूरज उगेगा
नया सवेरा होगा,
मन का मैल मिटेगा
दूसरों से दिल जुड़ेगा
न अब भेदभाव,
न अब अमीर गरीब
का मन में भाव जगेगा
कल भी सूरज उगेगा
नया सवेरा होगा,
चाँद तारों की चादर पर
सब एक साथ रहेंगे
दूसरों की दुआ में
अब ये हाथ फिर जुड़ेंगे,
न अब हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
का भेदभाव रहेगा
न अब ब्राहमण क्षत्रिय वैश्य सूद्र
के दिलों में कोई भेदभाव जगेगा,
कल भी सूरज उगेगा
नया सवेरा होगा।।