कितनी रातें
कितनी रातें
कितनी रातें जाग के ,
इन नैनो ने सीखे पेंच लड़ाने,
तुम संग होश खो गई यें,
जब तुम लगे इश्क सिखाने।
कसूर तेरी जवानी का था,
हम तो मदहोश पहले से थे,
कितनी रातें साथ तेरे ,
गुजर गई हमें समझाने।
हर बार हम नासमझ बन,
सुनते रहे तेरी बेताबी,
कितनी रातों के बाद हम ,
आए दिल ~ए ~हाल सुनाने।
वो ज़िस्म ए गर्मी वो मदहोशी ,
छाई तेरे साथ दीवाने,
कितनी रातें बिखर गए हम,
हम दोनों की प्यास बुझाने।
दिल ~ए ~सुकून मिलते - मिलते,
सुबह हुई तब होश संभाले,
कितनी रातें इन नैनों में,
कैद हुईं ये हम - तुम जाने।