किसने रोका है तुम्हें !
किसने रोका है तुम्हें !
किसने रोका है तुम्हें
एक झलक दिखलाओ न
बनकर के इन्द्रधनुष
आसमान में छाओ न
सतरंगी छटाओं को
आकर के बिखराओ न
गम की घटाएँ बरस चुकीं
अब तो तुम मुस्कुराओ न
एक बार तो फिर से तुम
जलवा अपना दिखलाओ न।
किसने रोका है तुम्हें
एक झलक दिखलाओ न
बनकर के इन्द्रधनुष
आसमान में छाओ न
सतरंगी छटाओं को
आकर के बिखराओ न
गम की घटाएँ बरस चुकीं
अब तो तुम मुस्कुराओ न
एक बार तो फिर से तुम
जलवा अपना दिखलाओ न।