बस एक जरूरत थी जो पूरी हुई ही नहीं। बस एक जरूरत थी जो पूरी हुई ही नहीं।
एक बार तो फिर से तुम जलवा अपना दिखलाओ न। एक बार तो फिर से तुम जलवा अपना दिखलाओ न।
तुझे सोचना है अब ये कैसे बसंत को बुलाना अपनी मनमानी छोड़ संग मेरे नाचना-गाना। तुझे सोचना है अब ये कैसे बसंत को बुलाना अपनी मनमानी छोड़ संग मेरे नाच...
ऐ काश तुम फिर से दिल से सोच पाते। ऐ काश तुम फिर से दिल से सोच पाते।
इसलिए हम शायद सब झुण्ड में खड़े हैं। इसलिए हम शायद सब झुण्ड में खड़े हैं।
मेरे यूँ लौट जाती है ! मेरे यूँ लौट जाती है !