किसने किसको फ़ोन घुमाए
किसने किसको फ़ोन घुमाए
किसने किसको फ़ोन घुमाए
कौन कहाँ किसको समझाए
अकेले में जो करे बात
ग्रुप में वो काहे को आये
सपने देखते उम्र गुजर गई
पूरे क्यों न हो पाए
जब बैठते थे यार चार
वक्त तुम्हें क्यों याद कराए
मिलना जिसको छलना लगता
ऐसे मित्र से कौन बचाये
जूम से भी जो भाग रहे हों
उनके संग विदेश 'को' जाए
चाहे जितने बड़े हो होटल
मन की जगह कमी पड़ जाए
इलाहाबाद की गाली से जो
बिफरे वो ना मित्र कहाये
उम्र भले ही पचपन की हो
दिल अब भी बचपन की गाये
सफर 'पथिक' का खत्म हो लिया
फिर भी यारों से आस लगाए
कौन कहाँ किसको समझाए।