STORYMIRROR

संजय कुमार जैन 'पथिक'

Tragedy

3  

संजय कुमार जैन 'पथिक'

Tragedy

किसने किसको फ़ोन घुमाए

किसने किसको फ़ोन घुमाए

1 min
208

किसने किसको फ़ोन घुमाए

कौन कहाँ किसको समझाए

अकेले में जो करे बात

ग्रुप में वो काहे को आये

सपने देखते उम्र गुजर गई

पूरे क्यों न हो पाए

जब बैठते थे यार चार

वक्त तुम्हें क्यों याद कराए

मिलना जिसको छलना लगता

ऐसे मित्र से कौन बचाये

जूम से भी जो भाग रहे हों

उनके संग विदेश 'को' जाए

चाहे जितने बड़े हो होटल

मन की जगह कमी पड़ जाए

इलाहाबाद की गाली से जो

बिफरे वो ना मित्र कहाये

उम्र भले ही पचपन की हो

दिल अब भी बचपन की गाये

सफर 'पथिक' का खत्म हो लिया

फिर भी यारों से आस लगाए

कौन कहाँ किसको समझाए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy