किस्मत : बड़ी अजब
किस्मत : बड़ी अजब
कभी जिंदगी में धोखे देकर बड़ा रुलाती है
कभी खुशियों का पिटारा खोल बड़ा हसाती है
राजा को रंक बनादे, किस्मत के खेल अजब है
अगले पल क्या दिखलादे, ये चीज़ बड़ी गजब है
कोई न जाने अगले पल क्या होगा
कोई न जाने की आने वाला कल क्या होगा
कोई किस्मत के भरोसे पूरा युद्ध लड़ जाता है
ओर कोई किस्मत से हारकर फांसी टँग जाता है
जितने पर किस्मत की बड़ाई और हारने पर मिलती किस्मत को गाली
पेड़ की किस्मत खराब हुई तो उसकी जड़ो पर थूकती है उसकी डाली
कोई फूल चला जाता है किसी की कब्र में
और कोई चला जाता है भगवान के घर मे
इस किस्मत के कारण कोई महल में जिंदगी गुजारे
और कुछ गलियों में भीख मांगते बेचारे
किसी की किस्मत में सोना और किसी की फूटी तकदीर
ये कैसा इंसाफ उसका जिसने रची हाथों में लकीर
ये किस्मत निर्दयी है जो कभी किसी से कूड़ा बिनवाती है
कभी किसी को किसी के घर की झूठन खिलाती है
किस्मत की वजह से जूते साफ करने वाले जूते पहन नही पाते
ये लोग अपना दुख सुनाने में भी मन ही मन घबराते
ये किस्मत किसी को बना देती है भिखारी
कोई किस्मत से हारकर बन जाता जुआरी
कोई न जाने ये किस्मत कब कैसा रंग दिखादे
कोई न जाने ये किस्मत किसी को क्या से क्या बनादे
कोई बदलने चला किस्मत को पहन कर अंगूठियां
कोई लड़ने चला किस्मत से लेकर जड़ीबूटियां
कुछ पानी के छीटे से किस्मत सुधारने लगे
कुछ किस्मत को पलटने फूंक मारने लगे
कर्म ही है वो जो किस्मत को बदल सकता है
कर्म ही है वो जो किस्मत से भी लड़ सकता है
अपने कामों से किस्मत को मुट्ठी में करा जाता है
जिसने करी मेहनत, वो तो किस्मत को भी हरा जाता है।