किरदार बैठा है
किरदार बैठा है
बहुत गुमशुम मेरे अंदर मेरा किरदार बैठा है ।
जो सबकी धडकनों में था वहीं बेज़ार बैठा है ।।
मसीहा जो मुहब्बत बांटने आया था दुनिया में ;
कहीं कोठे की जद में वो बहुत लाचार बैठा है ।
मुकम्मल हो हरेक इन्सां नहीं मुमकिन जमाने में ;
न जाने किस गलत फहमी में तू बीमार बैठा है ।
